निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 23 अगस्त 2024

कुंवारी सांझ

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 एक कुंवारी सांझ हो तुम कोमल मद्धम आंच हो  दिन बहुत छका चला अब एक तुम्ही सहेली साँच हो उपवन में सब फूल सूख रहे तुम ही करुणा गाछ हो जरा ठहर स...
गुरुवार, 22 अगस्त 2024

अनबन

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 कथ्य की कटोरी में भावनाओं की छलकन समझ ना पाएं हो जाती है अजब अनबन कथ्य एक प्रकार कथा, भावनाएं मनोव्यथा कहनेवाला कहे यथा भावनाएं होती तथा अभ...
बुधवार, 21 अगस्त 2024

मैसेंजर

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  पहली बार जो देखा उनका फोटो गाल गुलाल कमाल धमाल समान मुग्धित मन सौंदर्य निरखते बहका देने लगा नयन , अधर को सम्मान   चलते - चलते भा...
मंगलवार, 20 अगस्त 2024

कुहूक

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 तुम्हें जो सजा दूँ शब्दों से तुम्हारे महकने लगेंगे वह सारे किनारे जहां कामनाओं का उपवन सजा प्रार्थना थी करती सांझ सकारे एक संभावना हो दबाई ...

ज़िरह

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  आपसे मिल नहीं सकता कभी क्यों लग रहा सब हासिल है बेमुरव्वत , बेअदब सिलसिला है वो मग़रूर हम तो ग़ाफ़िल हैं   चंद बातों में खुल गए डैन...
सोमवार, 19 अगस्त 2024

प्रीति

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 मन उलझा एक द्वार पहुंच प्रीति भरी हो रही है बतियां सांखल खटका द्वार खुलाऊँ डर है जानें ना सब सखियां बतरस में भावरस रहे बिहँसि गति मति रचि स...
3 टिप्‍पणियां:

रक्षा बंधन

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 खुला रुंधा स्वर दिव्यता पसर गयी राखी का त्योहार तृष्णापूर्ति कर गयी प्रत्येक जुड़ा रचनाकार कुछ लिख गया प्रत्येक मिठास सिंचित तर कर  गयी भावन...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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