निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 9 अगस्त 2024

अति बौद्धिक

›
 अति बौद्धिक होते हैं तार्किक तूफान तर्क दौड़ाते है घिरता मध्यार्थी मचान दौड़ना इनको न आता करते चहलकदमी बचते-बचाते चलें कहीं हो न गलतफहमी टंका...
गुरुवार, 8 अगस्त 2024

मुखौटा

›
 थक रही हृदय उमंगें, पसार दो अंकुरित हैं भाव कई, संवार दो यह समाज है बड़बोला, बड़दिखावा यथार्थ संभव नहीं तो, करो दिखावा प्रतिद्वंदियों का दे स...
मंगलवार, 6 अगस्त 2024

ऐ रचनाकार

›
 व्यथा लिखे तो हो जाएगी कथा यथा प्यार के नए भाव तू रचा टीस पीड़ा की सामाजिक दलन बकवास है, बता सिहरनी छुवन सावन में पूजा पर श्रृंगार बता यथा प...

घाव

›
 घाव है जख्म है, मूक हो जाएगा समय एक दवा, सूख खो जाएगा घाव जख्म जीवन के अटूट अंग वेदना में सिमटी हर्षदायक तरंग आज धूमिल कल धवल हो जाएगा समय ...

संभालिए

›
 कल की आदर्शवादिता दीखती कहां आज दलदल में धंसता जा रहा संभालिए समाज युवाशक्ति संग्रहित विद्यार्थी अनहोनी कर जाएं नेतृत्व यदि चला गया उसका अं...
सोमवार, 5 अगस्त 2024

भाग चलें

›
 मन उलझी सुप्त भावनाओं को नाप चलें गृहस्थी से जुड़े हुए कुछ दिन भाग चलें कार्यमुक्त जब रहें मन यह उन्मुक्त रहे क्या सोचा था क्या हैं किसे व्य...

तुमको सोचा

›
शांत थी मेरी सुबह की सड़क  बरस ही रहा था झूमता सावन बहुत दूर से देखा तुम आ रही यही होता मन मौसम हो, पावन समुद्री हवा के छाता पर थे थपेड़े या स...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.