घाव है जख्म है, मूक हो जाएगा
समय एक दवा, सूख खो जाएगा
घाव जख्म जीवन के अटूट अंग
वेदना में सिमटी हर्षदायक तरंग
आज धूमिल कल धवल हो जाएगा
समय एक दवा, सूख खो जाएगा
टोह कर टोक कर कभी गोदकर
उन्मादी करते यूं जीवन का सफर
अयाचित हो वह भी संवर जाएगा
समय एक दवा, सूख खो जाएगा
पल्लवन की चाह में प्रयास उन्नयन
मस्तिष्क कुछ कहे अलग मन उपवन
हुड़दंगई को नया फांस लग जाएगा
समय एक दवा, सूख खो जाएगा।
धीरेन्द्र सिंह
07.08.2024
08.11
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