निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 31 जुलाई 2024

प्यास

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 प्यास की हैं विभिन्न परिभाषाएं प्यास से अर्जित विजय पताकाएं मन से हो संवाद होता निर्विवाद मन को कर आयोजित हो नाबाद अपने कौशल की विभिन्न कला...
सोमवार, 29 जुलाई 2024

सागर

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प्रातः 7.30 बजे का सागर मंद लहरों पर थिरकता सावन की हवाओं संग जल अपलक देखता “अटल सेतु” लगभग नित्य का दृश्य, तट पर खड़ा जल की असीमता से अपनी ...

हताश

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 खिड़कियां बंद कर रोक रहे हैं प्रकाश कमरा कैसे रोशन सोचे न वह हताश प्रतिबंधन आत्मिक होता, नहीं भौतिक विरोध वहीं जहां संबंध निज आत्मिक ब्लॉक क...
शनिवार, 27 जुलाई 2024

वह

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 वह बिन लाईक, टिप्पणी मुझको पढ़ती है बोल या अबोल सोच खुद में सिहरती है मेरी रचना बूझ जाती बिनबोली सब बात ऐसे नित मेरी रचनाओं में वह संवरती है...

कजरी गूंजे

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 आप मुझे निहार जब करें श्रृंगार कजरी गूंजे कान, हृदय सावनी सार मौसम मन को यहां-वहां दौड़ाए लगे बिहँसि मौसम आपमें इतराए नयन-नयन के बीच जारी भा...

मानवता लय

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 प्रदूषण कम हुआ वनस्पतियों की सुगंध सावन में मन जैसे भावनाओं का मृदंग शिव की आराधना में लपकती कामनाएं सृष्टि में सफल रहे विभिन्न अर्चनाएं शि...
गुरुवार, 25 जुलाई 2024

पैसे बरस

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 बूंद नहीं पैसे बरस कभी बादल सपनीली आंखें अभाव के आंचल छत जिनको भोजन, होता आयोजन सावन का मौसम, लाए नए प्रयोजन ध्वनि गूंजे टकराए, पैसा इन सां...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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