निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 27 जुलाई 2024

वह

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 वह बिन लाईक, टिप्पणी मुझको पढ़ती है बोल या अबोल सोच खुद में सिहरती है मेरी रचना बूझ जाती बिनबोली सब बात ऐसे नित मेरी रचनाओं में वह संवरती है...

कजरी गूंजे

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 आप मुझे निहार जब करें श्रृंगार कजरी गूंजे कान, हृदय सावनी सार मौसम मन को यहां-वहां दौड़ाए लगे बिहँसि मौसम आपमें इतराए नयन-नयन के बीच जारी भा...

मानवता लय

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 प्रदूषण कम हुआ वनस्पतियों की सुगंध सावन में मन जैसे भावनाओं का मृदंग शिव की आराधना में लपकती कामनाएं सृष्टि में सफल रहे विभिन्न अर्चनाएं शि...
गुरुवार, 25 जुलाई 2024

पैसे बरस

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 बूंद नहीं पैसे बरस कभी बादल सपनीली आंखें अभाव के आंचल छत जिनको भोजन, होता आयोजन सावन का मौसम, लाए नए प्रयोजन ध्वनि गूंजे टकराए, पैसा इन सां...
बुधवार, 24 जुलाई 2024

अबकी सावन

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 मैं चाहूं लेख लिख भारमुक्त हो जाऊं या तो पोर-पोर भाव कविता रच जाऊं तुम ही कह दो प्रणय संवेदिनी इस बार अबकी सावन को कैसे में और रिझाऊं इस बय...

ढीठ

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 ढीठ बड़ा लगता है बरसात का पानी बहाव का प्रवाह और बदलती कहानी शहर धुल जाता छप्पर सहित मकान आप भी नई लगतीं ले स्व अभिमान सावन सरीखा सुहानी सी ...
मंगलवार, 23 जुलाई 2024

टूटी हैं तीली

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सावन में व्योम और धरा का उन्मुक्त प्रणय कर देता है उन्मादित संवेदनशीलता को प्रणय हवा आह्लादित, सावन की सुबह करती है निर्मित हृदय प्यार पंखुड़...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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