निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 24 जुलाई 2024

अबकी सावन

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 मैं चाहूं लेख लिख भारमुक्त हो जाऊं या तो पोर-पोर भाव कविता रच जाऊं तुम ही कह दो प्रणय संवेदिनी इस बार अबकी सावन को कैसे में और रिझाऊं इस बय...

ढीठ

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 ढीठ बड़ा लगता है बरसात का पानी बहाव का प्रवाह और बदलती कहानी शहर धुल जाता छप्पर सहित मकान आप भी नई लगतीं ले स्व अभिमान सावन सरीखा सुहानी सी ...
मंगलवार, 23 जुलाई 2024

टूटी हैं तीली

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सावन में व्योम और धरा का उन्मुक्त प्रणय कर देता है उन्मादित संवेदनशीलता को प्रणय हवा आह्लादित, सावन की सुबह करती है निर्मित हृदय प्यार पंखुड़...
रविवार, 21 जुलाई 2024

सावन की बरसात-दृश्य, अनुभूति

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बरसात नहीं हो रही थी बदलियों बेचैन थीं हवा मद्धम थी छाता लेकर निकल पड़ा दैनिक चहलकदमी, सावन का पहला दिन बूंदें थीं गिन-गिन, बदलियों सोच रही थ...
शुक्रवार, 19 जुलाई 2024

तेजस्विता

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कौन देखता है नारी की ओजस्विता गृहस्थी में भरती निरंतर तेजस्विता   चहारदीवारी में कर अभिनव चित्रकारी घर निर्मित करती सदस्य हितकारी ...

पूछे दिल

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आपकी अदा सदा रहती बुदबुदा अक्सर पूछे दिल फिर से बता एक संगीत धुन सी लगें गुंजित ध्यान हो धन्य अदा में समाहित जैसे भित्ती चढ़ती बलखाती लता अक्...

देशभक्ति

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 राष्ट्रप्रेम व्यक्तित्व शौर्य जतलाएं सीमाओं को सुरक्षित करते जाएं एक युवक नहीं पूरा परिवार है योद्धा सभी क्षत्रीय धर्म ही निभाएं एक युवती फ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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