निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 18 जुलाई 2024

सुई और कालीन

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 सूई से  कालीन के मैले तागे उकेरे जाते हैं तो जुलाहा बोल पड़ता है बिगड़ रहा है संतुलन सूई का  कैसा यह चलन, चुप हैं सब भदोही उद्यमी, जुलाहा बुन...
बुधवार, 17 जुलाई 2024

कैसा विचार

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  टहनी पर पैर जड़ पर प्रहार पकड़ बनाए कैसा यह विचार   लकड़हारा है या जंगल लुटेरा मतिमारा है या अकल जूझेरा और कब तक है यह स्वीकार पक...
सोमवार, 15 जुलाई 2024

फोन

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 “प्लीज बी इन टच” फोन करते रहिएगा ऐसा कोई बोले फोन कभी ना करिएगा अपने पद की गरिमा के हैं सुप्त अरुणिमा सेवानिवृत्ति के बाद भी चाहें वही महिम...

आप भी

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 सौंदर्य का सृष्टि पर उपकार है आप भी तो प्रकृति उपहार हैं पुष्प रंग और सुगंध दंग कर रहे पुलकित हृदय नए प्रबंध कर रहे टहनी लचक कमनीयता झंकार ...
रविवार, 14 जुलाई 2024

उनकी अदाएं

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 यह ना सोचिए कि हम बात नई करते हैं उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं एक सुगबुगाहट,गुदगुदाहट की अनुभूतियां ध्यान में डूब जाती हैं सब जग नीति...

आवारगी

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 मेरी आवारगी को हवा देती हैं एक नौका को यूं वह खेती हैं भावनाएं ही कल्पना की कृतियाँ आप से ही जाना अर्चना रीतियाँ आप तट लहर हर प्रहर संवेदी ...
शनिवार, 13 जुलाई 2024

उपवन

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 विचारों के उपवन में मिलती हैं आप जब सितारों सी अभिव्यक्तियां टिमटिमाती हैं भावनाएं परखती हैं भावनाओं के नृत्य जाने-अनजाने नई कविता रच जाती ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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