निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 14 जुलाई 2024

उनकी अदाएं

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 यह ना सोचिए कि हम बात नई करते हैं उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं एक सुगबुगाहट,गुदगुदाहट की अनुभूतियां ध्यान में डूब जाती हैं सब जग नीति...

आवारगी

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 मेरी आवारगी को हवा देती हैं एक नौका को यूं वह खेती हैं भावनाएं ही कल्पना की कृतियाँ आप से ही जाना अर्चना रीतियाँ आप तट लहर हर प्रहर संवेदी ...
शनिवार, 13 जुलाई 2024

उपवन

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 विचारों के उपवन में मिलती हैं आप जब सितारों सी अभिव्यक्तियां टिमटिमाती हैं भावनाएं परखती हैं भावनाओं के नृत्य जाने-अनजाने नई कविता रच जाती ...

दृग पनघट

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 पनघट दृग अंजन अनुरागी सहमत दृढ़ पलक अतिभागी नीर प्रवाह झलक प्रथम हो सुख-दुख का भी प्रतिभागी नयन भाव अति सत्य प्रवक्ता पनघट जुड़ाव रचि नित्यभा...
गुरुवार, 11 जुलाई 2024

बारिश का मौसम

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  कहीं कुछ है भींगा जतन कीजिए है बारिश का मौसम यतन कीजिए   आज बादल है बरसा तो उभरी बूंदे घटा घनघोर तरसी उठी हैं उम्मीदें भींगना है...
मंगलवार, 9 जुलाई 2024

सुन न

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  तुम न , पुष्प में तीर का अदब रखती हो सुन न , सुप्त के धीर सा गजब करती हो   आत्मसंवेदना एकाकार हो स्वीकार करने लगें आत्मवंचना द्वैत...
गुरुवार, 4 जुलाई 2024

सांझ सूरज

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 किसी के सांझ की पश्चिमी सूरज लालिमा पलक आधार बन कर रहें मुग्धित तिरोहित पवन कुछ शीतल झोंके से है रही ढकेल  श्याम परिधान में आगमन श्यामल पुर...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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