निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 23 जून 2024

ठुड्डी पर चेहरा

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कहां से कहां ढूंढ लेती है आप हथेली पर ठुड्डी चेहरे का आब रचना मेरी पाती प्रशंसा आपकी दूं यहां धन्यवाद आपको जनाब   यूं लिखती भी हैं...

नौका बाती

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 अपनी अठखेलियों का समंदर बनाइए बिन पाल नौका का भ्रमण फिर कराइए यह आपकी है कुशलता और विशिष्टता किनारे खड़ा मन न और भरमाइए लहरों की चांदनी सा ह...

अतिरंगी

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 अतिरंगी अतिरागी मिली सजनिया अनुरागी अतिभागी खिली अंगनिया सूफी सोचें यह प्रभु का ही सम्मान है प्रेमी सोचें प्रियतमा सुघड़ अभिमान है जैसी रही ...

सत्य की चुन्नटें

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 सत्य की चुन्नटें असत्य खुले केश हैं नारियां ऐसी भी जिनके कई भेष हैं कौन जाने किस तरह खुली भावनाएं धुंध सी उभर रहीं कामनाएं अशेष हैं प्यार क...
शनिवार, 22 जून 2024

उलीचता मन

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  उलीचता मन तो सद्भाव , दुर्भाव है इसी क्रम में जिंदगी का निभाव है आप एक प्रश्न हैं असुलझी सी कहीं सुलह हो जाए यह काल्पनिक दबाव है  ...
शुक्रवार, 21 जून 2024

प्यार भी विवशता

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  बस यही खयाल है काल्पनिक धमाल है प्यार की रंगीनियाँ मन के कई ताल हैं   खींच ले हृदय भाव फिर अबीर गुलाल है भावनाएं नदी उफनती ...
बुधवार, 19 जून 2024

छूकर दिल

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 हल्के से छूकर दिल निकल गई बहकती हवा थी या तेरी सदाएं एक कंपन अभी भी तरंगित कहे ओ प्रणय चल नयन हम लड़ाएं महकती हैं सांसे दहकती भी हैं चहकती भ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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