निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 30 मई 2024

सतकर्मा

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  आप जब महके चमन गए शरमा आप जब चहके गगन गए भरमा यूं ही हैं अनोखे आप जानते नहीं मुझसे हुए परिचित शायद सतकर्मा   आपको समझूं तो उठे झ...
सोमवार, 27 मई 2024

देह

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  राधा - कृष्ण , शिव - शक्ति की कर चर्चाएं प्रेम का रूप गढ़ें , लक्ष्य क्या कौन बताए यदि आध्यात्म प्यार भक्ति मार्ग जाएं मानव बीच रहक...
रविवार, 26 मई 2024

प्रेम परिभाषा

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  प्रेम की फिर मिली वही परिभाषा देना ही देना प्राप्ति की न आशा   कहां मिलते ऐसे जो करते ऐसा प्रेम कब खिलते मन जो करते ऐसा मेल क्...
गुरुवार, 23 मई 2024

रिझाना है

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 हर उम्र का एक दोस्ताना है उम्र दर उम्र वही आशिकाना है कुछ गंभीरता लिए समझदारी भी जिंदगी को भी तो रिझाना है तथ्य हैं, कथ्य हैं, सत्य-असत्य ह...
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मंगलवार, 21 मई 2024

दहक

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 तुम्हें इस कदर हम देखा किए हैं कि निगाहों को कोई भी जंचता नहीं खूबी जो तुम में बुलाती हमें ही तुम्हारे नयन प्यार हंसता नहीं बहुत जानती हो त...
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पलकों की घूंघट

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  पलकों की घूंघट में छिपता है प्यार प्यार में सिमटकर खिलता है संसार   एक हृदय धड़का हो आकर्षित तड़पा एक खिंचाव अनजान विकसित कड़का छ...
सोमवार, 20 मई 2024

साहित्य

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 क्यों उठा लेते हैं विगत साहित्य क्या है यह रचनाकार आतिथ्य एक समय था पुस्तकें ही थीं और था प्राध्यापक व्यक्तित्व जो कहा साहित्य क्या सत्य वह...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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