निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 14 मई 2024

शोषण

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 वाह आह ऊँह नाह चाह आह दाह बाहं राह छाहँ लांघ माह डाह स्वाह आह थाह। धीरेन्द्र सिंह 14.05.2024 21.12
सोमवार, 13 मई 2024

खुमारी या विरह नाद

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  समर्पित प्रेम में होता यह विषय विवाद मीरा सी खुमारी या राधा सा विरह नाद   अंतस हिलोर मारे अभिलाषाओं की शुमारी गहन तरंग उठे असीम ...
रविवार, 12 मई 2024

प्यार आजन्म

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  प्यार आजन्म, बस एक मधुर गुंजन है बहुत कम लोगों का, इससे समंजन है एक छुवन, एक कंपन, एक जुगलबंदी प्यार की हदबंदी का क्या यही अंजन है मां, ...
गुरुवार, 9 मई 2024

स्वेद क्रांति

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  पसीने के बूंदों संग भाल जगमगाता है आपके श्रम में प्यार संग यूं निभाता है   अपने भीतर ही उपजता है अपना प्यार हृदय के कोने में छुप...

सोच बेजार है

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 मशवरा न कीजिए तर्क का बाजार है कौन किसका शुभचिंतक, सोच बेजार है अपने-अपने अनुभवों से है जनित ज्ञान हर अनुभव का अपना ही निजी मकान आत्मस्वर ह...
सोमवार, 6 मई 2024

चितवन को नमन

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सर्जना प्रातः उल्लसित हो भरे सघन मेरी रचना पर प्रथम आगमन चितवन यह भी तो है एक बौद्धिक अनुराग पहले ही देती कुहुक क्या करें काग भावनाएं क...
शनिवार, 4 मई 2024

गर्मी सघन

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 घुमड़कर बदरिया आ जा गगन सही नहीं जाती अब गर्मी सघन वह भी तो करतीं ना मीठी बतिया सहज ना रहा जीवन अब शर्तिया एकाकीपन का और कितना मनन सही नही ज...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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