निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 12 मई 2024

प्यार आजन्म

›
  प्यार आजन्म, बस एक मधुर गुंजन है बहुत कम लोगों का, इससे समंजन है एक छुवन, एक कंपन, एक जुगलबंदी प्यार की हदबंदी का क्या यही अंजन है मां, ...
गुरुवार, 9 मई 2024

स्वेद क्रांति

›
  पसीने के बूंदों संग भाल जगमगाता है आपके श्रम में प्यार संग यूं निभाता है   अपने भीतर ही उपजता है अपना प्यार हृदय के कोने में छुप...

सोच बेजार है

›
 मशवरा न कीजिए तर्क का बाजार है कौन किसका शुभचिंतक, सोच बेजार है अपने-अपने अनुभवों से है जनित ज्ञान हर अनुभव का अपना ही निजी मकान आत्मस्वर ह...
सोमवार, 6 मई 2024

चितवन को नमन

›
सर्जना प्रातः उल्लसित हो भरे सघन मेरी रचना पर प्रथम आगमन चितवन यह भी तो है एक बौद्धिक अनुराग पहले ही देती कुहुक क्या करें काग भावनाएं क...
शनिवार, 4 मई 2024

गर्मी सघन

›
 घुमड़कर बदरिया आ जा गगन सही नहीं जाती अब गर्मी सघन वह भी तो करतीं ना मीठी बतिया सहज ना रहा जीवन अब शर्तिया एकाकीपन का और कितना मनन सही नही ज...
1 टिप्पणी:
शुक्रवार, 3 मई 2024

शब्द आपके

›
 शब्द आपके छू जाते हैं मन में होती सिहरन पंखुड़ी पर ओस बूंद कितनी कोमल ठहरन ऐसे उगता है दिन मेरा शब्द आपके संग बनठन एक चेतना होती प्रवाहित सं...
गुरुवार, 2 मई 2024

रक प्रासंगिक रचना

›
 प्रातः पांच बजे आया एक फ्रेंड रिक्वेस्ट मन बोला स्वीकार करो हैं यह श्रेष्ठ बुद्धि बोली, मन तू इनको कैसे जाने मन बोला, बुद्धि, समूह के जाने-...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.