निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 27 अप्रैल 2024

संसार

›
 मन डैना उड़ा भर हुंकार बचा ही क्या पाया संसार तिल का ताड़ बनाते लोग जीवन तो बस ही उपभोग उपभोक्ता की ही झंकार बचा ही क्या पाया संसार कलरव में ...
शुक्रवार, 26 अप्रैल 2024

देह की बात

›
 देह की बात नहीं, दिल के बहाने छुपाकर भाव लिखे जा रहे तराने कोई कहे खुलापन अश्लील भौंडापन कोई कहे देह वातायन है सघन देह वलय तरंगित ताकते मुह...
गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

भोर बहंगी

›
 भोर भावनाओं की ले चला बहंगी लक्ष्य कहार सा बन रहा सशक्त वह उठी दौड़ पड़ी रसोई की तरफ पौ फटी और धरा पर सब आसक्त सूर्य आराधना का है ऊर्जा अक्षय...
बुधवार, 24 अप्रैल 2024

सोहबत

›
 शब्दों से यारी भावनाओं से मोहब्बत भला फिर क्यों दिल को कोई सोहबत खयालों में खिलते हैं नायाब कई पुष्प हकीकत में गुजरते हैं लम्हें कई शुष्क ल...
मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

प्रणय आगमन

›
 प्रणय पल्लवन का करें आचमन सबको नहीं मिलता प्रणय आगमन एक कविता उतरती है बनकर गीत अपने से ही अपने की होती है प्रीत मन नर्तन करे हो उन्मुक्त व...
सोमवार, 22 अप्रैल 2024

बहकते नहीं हैं

›
 दिल, दाग, दरिया दुबकते नहीं हैं हृदय, हाय, हालत बहकते नहीं हैं प्रयासों से हरदम प्रगति नहीं होती पहर दो पहर में उन्नति कहीं होती ना जाने कब...
1 टिप्पणी:
रविवार, 21 अप्रैल 2024

गुईंया

›
 कहां तक चलेगा संग यह किनारा कहां तक लहरों की हलचल रहेगी तुम्ही कह दो बहती हवाओं से भी कब तक छूती नमी यह रहेगी कहो बांध पाओगी बहती यह धारा त...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.