निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

गांव

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 सूनी गलियां सूनी छांव पिघल रहे हैं सारे गांव युवक कहें है बेरोजगारी श्रमिक नहीं, ताके कुदाली शिक्षा नहीं, पसारे पांव पिघल रहे हैं सारे गांव...
रविवार, 31 मार्च 2024

सूर्य खिसका

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 सांझ पलकों में उतरी, सूर्य खिसका आत्मभाव बोले कौन कहां किसका चेतना की चांदनी में लिपटी भावनाएं मुस्कराहटों में मछली गति कामनाएं मेघ छटा है,...
शनिवार, 30 मार्च 2024

कह दीजिए

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 क्यों प्रतीक, बिम्ब हों क्यों हों नव अलंकार यदि लहरें हैं तेज तो कह दीजिए है प्यार क्यों महीनों तक कश्मकश क्यों सहें मानसिक चीत्कार यदि प्र...
शुक्रवार, 29 मार्च 2024

प्रक्रिया

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 सकारात्मक प्रेरणा रचना की है प्रक्रिया रच जाती कविता मिले आपकी प्रतिक्रिया पुष्प पंखुड़ियों से शब्द में सुगंध भरूं प्रस्तुति पूर्ण हो नित सो...
गुरुवार, 28 मार्च 2024

पहल प्रथम

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 होठों पर शब्द रहे भागते अधर सीमाएं कैसे डांकते हृदय पुलक रहा था कूद भाव उलझे हुए थे कांपते सामाजिक बंधनों की मौन चीख नयन चंचल, पलक रहे ढाँप...
बुधवार, 27 मार्च 2024

मठाधीश

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 तलहटी में तथ्य को टटोलना सत्य के चुनाव की है प्रक्रिया कर्म की प्रधानता कहां रही चाटुकारिता बनी है शुक्रिया है कोई प्रमाण कहे तलहटी घोषणाएं...

देह

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 देह कहां अस्तित्ब है मनवा आत्म प्रीति ही जग रीति रूप की आराधाना है भ्रम आत्मचेतना ही नव नीति देह प्रदर्शन देता मोबाइल दैहिक कामना ढलम ढलाई ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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