निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

राम मंदिर

›
 इतिहास के पन्नों को निहार पांच सौ वर्षों की ललक पुकार स्वर्ण हिरण सा विचरित भ्रम हुआ ध्वनित फिर राम टंकार पांच सौ वर्ष पुरातत्व अभिलाषी कुछ...
गुरुवार, 4 जनवरी 2024

बिनकहे

›
 मुझे हर तरह छूकर तुमने दिए तोड़ बिनकहे नूर सपने एक बंधन ही था, जिलाए भरोसा तुमने भी तो, थाली भर परोसा यकायक नई माला लगे दूर जपने दिए तोड़ बिन...

बहेलिया

›
 प्रहर की डगर पर, अठखेलियां पक्षी फड़फड़ाए, छुपे हैं बहेलिया मार्ग प्रशस्त और अति व्यस्त कहीं उल्लास तो है कोई पस्त चंपा, चमेली संग कई कलियां ...
बुधवार, 3 जनवरी 2024

मस्तियाँ

›
अजब गजब दिल की बन रही बस्तियां हर बार धार नई दे तुम्हारी मस्तियाँ   तुम के संबोधन को बुरा ना मानिए सर्वव्यापी तुम ही कहा जाए जानिय...
मंगलवार, 2 जनवरी 2024

आपकीं लाइक

›
 मेरी रचना इकाई न दहाई आपकी लाइक से हर्षाई अभिव्यक्ति में आसक्ति नहीं शब्दों में मनयुक्ति नहीं भावनाओं की है उतराई आपकी लाइक से हर्षाई मन उत...

हयवदन

›
 तृषित नयन डूबे गहन करे आचमन गहराई की गूंज रचे प्रक्रिया हयवदन प्रगति की गति नहीं जो मति नहीं निर्णय कैसा जहां उदित सहमति नहीं द्वार-द्वार ऊ...

चांद

›
 मन भावों की करने गहरी एक जांच नववर्ष के प्रथम प्रहर निकला चांद देख चांद मन बोला क्या तुम पाओगे भाव जंगल मन में भटक थक जाओगे यहां वेदना सघन ...
1 टिप्पणी:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.