निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 3 जनवरी 2024

मस्तियाँ

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अजब गजब दिल की बन रही बस्तियां हर बार धार नई दे तुम्हारी मस्तियाँ   तुम के संबोधन को बुरा ना मानिए सर्वव्यापी तुम ही कहा जाए जानिय...
मंगलवार, 2 जनवरी 2024

आपकीं लाइक

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 मेरी रचना इकाई न दहाई आपकी लाइक से हर्षाई अभिव्यक्ति में आसक्ति नहीं शब्दों में मनयुक्ति नहीं भावनाओं की है उतराई आपकी लाइक से हर्षाई मन उत...

हयवदन

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 तृषित नयन डूबे गहन करे आचमन गहराई की गूंज रचे प्रक्रिया हयवदन प्रगति की गति नहीं जो मति नहीं निर्णय कैसा जहां उदित सहमति नहीं द्वार-द्वार ऊ...

चांद

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 मन भावों की करने गहरी एक जांच नववर्ष के प्रथम प्रहर निकला चांद देख चांद मन बोला क्या तुम पाओगे भाव जंगल मन में भटक थक जाओगे यहां वेदना सघन ...
1 टिप्पणी:
सोमवार, 1 जनवरी 2024

एक सी बधाई

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 मैंने भी लिख भेजा मुझ तक भी आई नव वर्ष शुभकामना की एक सी बधाई इसने उसको सबने सबको भेजा कह देखो हमने तुमको याद किया इसको भी सहेजो बिन मिले श...
शनिवार, 30 दिसंबर 2023

सिरहाने

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  मैंने तुमको बांध लिया सिरहाने से जीवन उत्सव होता संग फहराने से   क्या घटता क्या बंटता समय आधीन क्या बचता कब फंसता कर्म आधीन पन...

मोहब्बत

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 एहसासों के गुलाबी तहमत खास सोहबत नहीं मोहब्बत छुवन में हो भावनाएं अनंत राह की कामनाएं जिस्म-जिस्म भी जहमत खास सोहबत नहीं मोहब्बत व्यक्तिव न...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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