निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 14 नवंबर 2022

रंगदानी गुजरिया

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 जतन कीन्हा अनजानी डगरिया वतन चिन्हा रंगदानी गुजरिया सीमा पर प्रहरी भीतर लहरी रिश्ता पकड़ हर डोर ठहरी अजब-गजब लागे नजरिया वतन चिन्हा रंगदानी ...

दुआ

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 एक मोटी परत धूल छंट रही बादलों सी मन लगा स्वतंत्र हुआ ना जाने लगी किसकी दुआ एक कोमल पाश रचनात्मक पल प्रति पल सृजनात्मक लेखनीय अर्चना को छुव...
रविवार, 13 नवंबर 2022

चलन

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 देह दलन कैसा चलन व्यक्ति श्रेष्ठ आवश्यकता ज्येष्ठ विवशता लगन कैसा चलन प्रदर्शन परिपुष्ट प्रज्ञा सुप्त वर्चस्वता सघन कैसा चलन शौर्य समाप्त च...

यादें

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तिरस्कृत प्यार जानबूझकर हो या हो अनजाने में, यादें उठती भाप सरीखी उड़ती घर हो या मयखाने में; सुंदर हो बाहुपाश हो समर्पित विश्वास यादें मिले त...
बुधवार, 26 अक्टूबर 2022

अमौ हाजी

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 अमौ हाजी ज़िंदगी से बाजी सत्तर वर्ष न नहाया फिर भी मारी बाजी अमौ हाजी कैसे जिया कैसे पिया लोग न थे राजी रहा भय से लिपटा फिर भी मारी बाजी अमौ...
मंगलवार, 25 अक्टूबर 2022

विकल्प

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 विकल्प विकल्प होना संभव है संकल्प में संकल्प होना संभव कहां अल्प में, स्थिर मन होता है संकल्पित या विकल्पित अपने संस्कार अनुसार मन का खोले ...
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चखे फल

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 कौओं, कबूतरों, गिद्धों के चखे फल को अर्चना में सम्मिलित करना एक आक्रमण का होता है समर्थन, श्रद्धा चाहती है पूर्णता संग निर्मलता, चोंच धंसे ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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