निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

सम्मान है

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 मैंने तुमको पढ़ लिया उम्मीद भर गढ़ दिया मेरा अब क्या काम है बस तुम्हें सम्मान है तुम अधरों की नमीं ज़िन्दगी की हो जमीं शब्द भाव क्या धाम है बस...
मंगलवार, 30 नवंबर 2021

भोर की बेला

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 भावों का प्रवाह है, मन भी लिए आह भोर की बेला सजनी, जागी कैसी चाह  चांद भी धूमिल, सूरज ओझल, सन्नाटा कलरव अनुगूंज नहीं पर सैर सपाटा तुम संग य...
शनिवार, 27 नवंबर 2021

तुम और चांद

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 तुम आयी कि, आया चांद आतुर छूने को, खिड़की लांघ उचट गयी लखि यह तरुणाई मध्य रात्रि, दिल की यह बांग अर्धचंद्र का यह निर्मित तंत्र संयंत्र हृदय ...
रविवार, 21 नवंबर 2021

इंसानियत

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 भावों से भावना का जब हो विवाद तथ्य तलहटी से तब गंभीर संवाद उचित लगे या अनुचित कृत्य वंशावली आस्थाओं की गुम्बद से हो निनाद धुंध भरी भोर में ...

साथ निभाना

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 साथ चलना और साथ निभाना यह सोच क्या लगे न बचकाना ! नवंबर के अंतिम सप्ताह में मेरे शहर रात्रि बारिश मेघ गर्जना विद्युत की किलकारियां शीतल चला...
1 टिप्पणी:
बुधवार, 3 नवंबर 2021

दीपोत्सव मंगलमयी

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पता नहीं क्यों पता मिला कैसे बस्तों को बांचते पुरातत्व खंगालते आरंभ पुनर्निर्माण संस्कृति के वह द्वार सभ्यता की पुकार हिंदुत्व की हुंकार, रा...
2 टिप्‍पणियां:
शनिवार, 16 अक्टूबर 2021

छुवन तुम्हारी

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 छुवन तुम्हारी चमत्कारी एहसास है सूखते गले में कुछ बूंदें तो टपकाईये प्यास लिए आस वह लम्हा लगे खास पास और पास एक विश्वास तो बनाइये प्यार उन्...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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