निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 27 नवंबर 2021

तुम और चांद

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 तुम आयी कि, आया चांद आतुर छूने को, खिड़की लांघ उचट गयी लखि यह तरुणाई मध्य रात्रि, दिल की यह बांग अर्धचंद्र का यह निर्मित तंत्र संयंत्र हृदय ...
रविवार, 21 नवंबर 2021

इंसानियत

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 भावों से भावना का जब हो विवाद तथ्य तलहटी से तब गंभीर संवाद उचित लगे या अनुचित कृत्य वंशावली आस्थाओं की गुम्बद से हो निनाद धुंध भरी भोर में ...

साथ निभाना

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 साथ चलना और साथ निभाना यह सोच क्या लगे न बचकाना ! नवंबर के अंतिम सप्ताह में मेरे शहर रात्रि बारिश मेघ गर्जना विद्युत की किलकारियां शीतल चला...
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बुधवार, 3 नवंबर 2021

दीपोत्सव मंगलमयी

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पता नहीं क्यों पता मिला कैसे बस्तों को बांचते पुरातत्व खंगालते आरंभ पुनर्निर्माण संस्कृति के वह द्वार सभ्यता की पुकार हिंदुत्व की हुंकार, रा...
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शनिवार, 16 अक्टूबर 2021

छुवन तुम्हारी

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 छुवन तुम्हारी चमत्कारी एहसास है सूखते गले में कुछ बूंदें तो टपकाईये प्यास लिए आस वह लम्हा लगे खास पास और पास एक विश्वास तो बनाइये प्यार उन्...
गुरुवार, 14 अक्टूबर 2021

दशहरा

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दशानन का शमन वमन हुआ वह कहकहा यही है दशहरा विभीषण कहें या खुफिया विशाल शक्ति ढहाढहा यही है दशहरा स्वयं में है रावण या परिवेश दे रावण, भरभरा ...
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मंगलवार, 5 अक्टूबर 2021

भींगे ही रहें

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 प्रियतम प्यारे आप ऐसे ही भींगे रहें भावनाओं के वलय बूंद बन तन-मन बहें, अर्चनाएं सघन मन प्रभु कृपा से कहें, मन एकात्म यूँ डिगे रहें आप ऐसे ह...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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