निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 1 जुलाई 2021

तुम

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 तुम नयनों का प्रच्छा लन हो तुम अधरों का संचालन हो हृदय तरंगित रहे उमंगित ऐसे सुरभित गति चालन हो संवाद तुम्हीं उन्माद तुम्हीं मनोभावों की प...
मंगलवार, 29 जून 2021

व्हाट्सएप्प की नगरवधुएं

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वह व्हाट्सएप्प पर सक्रिय रहती है प्रायः द्विअर्थी बातें लिखती हैं  और चले आते हैं उसके चयनित पुरुष टिप्पणियों में रुग्ण यौन वर्जनाओं के  लिए...
शुक्रवार, 25 जून 2021

तड़पे प्यास

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 यह उम्र गलीचा वह मखमली एहसास समंदर ने कब कहा पानी में तड़पे प्यास। धीरेन्द्र सिंह

वह आई थी

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वह आई थी  हथेलियों में भर भावनाएं  मिलकर उसे पुष्प बना दिए  उसने कहा  इन फूलों से सजाना है आसमान  मैंने कहा बड़ा है व्योम से  मन का आकाश बसा...
बुधवार, 23 जून 2021

प्यार मर गया

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 प्यार  कोरोना काल में काल कवलित, दिलजलों ने कहा कैसे मरा, स्वाभाविक मृत्यु या मारा किसी ने, कौन समझाए प्यार मरता है अपनी स्वाभाविक मृत्यु भ...
सोमवार, 21 जून 2021

टहनियां

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 डालियां टूट जाती हैं लचकती हैं हंस टहनियां आप समझे हैं समझिए कैसी इश्क की नादानियां एक बौराई हवा छेड़ गई पत्तों में उभरने लगी कहानियां टहनि...

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

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 अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस आज होता सहज नहीं विश्वास कल तक अनदेखी विद्या का आज सकल सिद्ध है राज योगी रामदेव की महिमा मुस्काए एक चना का है यह अं...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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