निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 12 जून 2021

गीत लिखे

›
गीत लिखो कोई भाव सरणी बहे मन की अदाओं को वैतरणी मिले यह क्या कि तर्क से जिंदगी कस रहे धड़कनों से राग कोई वरणी मिले अतुकांत लिखने में फिसलने ...
8 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 4 जनवरी 2021

उसकी आवारगी

›
उसकी आवारगी भी कितनी बेमिसाल है  देख जिसे तितलियां भी हुई बेहाल हैं  उसकी ज़िद भी उसकी ज़िन्दगी सी लगे  घेरे परिवेश उलझे आसमां की तलाश है;  उन...
1 टिप्पणी:
मंगलवार, 5 मई 2020

कविता और शराब

›
कविता भी शराब होती है रंग लिए ढंग लिए उमंग की तरंग लिए व्यक्ति में घुल खोती है कविता भी शराब होती है इसमें कवि "फ्लेवर" है...
1 टिप्पणी:
सोमवार, 27 अप्रैल 2020

संतों की हत्या

›
संतों की हत्या कर रही मुझसे बात निहत्थों की घेर हत्या है कोई घात एक हवा कहीं बिगड़ी बेखौफ हो चुप रहना जीवंतता की न सौगात निहत्थों की हत...
गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

शब्दों को चाहिए

›
व्यक्ति में यदि भाव हैं तो लगे सुघड़ महज पत्थर पर तो चलते हैं हथौड़े अनुभूति का अंदाज़ हो तो लगे जांबाज वरना तो सभी जी लेते अक्सर थोड़े-थोड़...
1 टिप्पणी:

तुमको जी लूँ

›
तुमको जी लूँ तो जन्नत में पाऊं कहो आत्मने कब डुबकी लगाऊं नहीं तन, मन तक है मेरी मंजिल साहिल से कह दो तो बढ़ मैं पाऊं बदन का जतन सुख की ...
बुधवार, 22 अप्रैल 2020

सुबह

›
सुबह जब मैं बालकनी में बैठ पहाड़ों को देखता हूँ हरे भरे पेड़ों से आती कोयल की कूक मन में उठती हुक, उठती हैं मन से भावों की अनेक कलियां...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.