सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

इजहार

 #कुछ_तुम_लिखो_कुछ_हम_लिखे

#दैनिक_प्रविष्टि

#आज के विशेष रचनाकार

अविनाश शर्मा


    ✍️मेरे इजहार का अंजाम मिल जाता👌

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मेरे  इज़हार  का  अंजाम  मिल  जाता  तो  अच्छा था,

मेरे इकरार को एक धाम मिल जाता तो अच्छा था


बहुत कुछ कह चुकी हैं हसरतें मजबूर सी पेशानियां

कभी इनपर इनायत गौर हो जाता तो अच्छा था


बहकती चाहतों को महकता एहसास तो मिले

दहकती आग में चिराग खिल जाता तो अच्छा था


कहना ही मेरे वश में इजहार करते रहता हूँ 

अंजाम दिल जाम बन जाता तो अच्छा था।


धीरेन्द्र सिंह

11.02.2025

09.51

साली जी

 महाकुम्भ ना पहुंचा पत्नीजी घुड़कीं

साली जी बोलीं आओ लगाएं डुबकी


आमंत्रण की यह मिठास दी हुलास

सड़क जाम देख हुई विचलित आस

खिलते एक प्रस्ताव की ऐसी कुड़की

साली जी बोलीं आओ लगाएं डुबकी


महाकुम्भ आस्था हुई और बलवती

ईश्वरीय प्रेरणा से मिली ऐसी सहमति

पत्नी जी जब सुनीं लगाई झिड़की

साली जी बोलीं आओ लगाएं डुबकी


कौन जाने किसका कहां का आत्मसाथ

मौन साधे रचना संग था उत्पात

सड़क जाम साली जी लक्ष्य तट की

साली जी बोलीं आओ लगाएं डुबकी।


धीरेन्द्र सिंह

20.02.2025

17.51




तन्हाई

 गम की परछाइयाँ, साया बनी हैं

मन की गहराईयां, माया बनी हैं

तन्हाई का भी निराला सा अदब

नभ में सिसकियां, छाया बनी हैं


जोड़ डाला कई से पता ना चला

स्व डूबा झुरमुटों की दया बड़ी है

अपने से अलग हो जाता है ऐसे

तन्हाई पूछती कहां संख्या खड़ी है


तन्हाई देती है गहनतम तन्मयता

तन्हाई भेदी है, निजता घनी है

तन्हाई में सिसकियां एक अवसाद

तन्हाई खेती है, शुभता धनी है।


धीरेन्द्र सिंह

10.02.2025

12.47