उम्र वरिष्ठता की सोच धर्म अब आसरा
53 वर्ष में करती हैं मुग्ध ज्योति कालरा
न तो उम्र छुपातीं न रंग बाल हैं छकाती
स्वयं पर ध्यान विशिष्ट स्वाभाविक माजरा
किसी व्यक्ति पर लिखना मतलब श्रेष्ठ है
उम्र की वरिष्ठता में आकर्षण ला धरा
सहज, स्वाभाविक नारी की अदाएं लिए
जीवन को जी रहीं कर पहल स्वभरा
नृत्य में निपुणता अभिव्यक्ति की भरमार
उम्र कुछ नहीं होता कहें विचारिए परंपरा
आज ही कुल चार वीडियो जो देखा तो
वरिष्ठों की बदलती सोच हैं ज्योति कालरा
गरिमा भी है गहनता भी और शोखियाँ
आसक्ति स्वयं पर अभिव्यक्ति भाव भरा
क्या खूब एक जीवंत वरिष्ठ पतंग सी लगें
मोहिनी हैं, आसक्त असंख्य ज्योति कालरा।
धीरेन्द्र सिंह
27.07.2025
13.27
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें