भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
Nijatata काव्य
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शनिवार, 12 अगस्त 2023
झूठे
प्यार कहां टूटता रिश्ते हैं टूटे
भूल गई झूठी बोलें हर झूठे
चाह के हर शब्द, लगें प्रारब्ध
कितनी हरकतें, कर रहीं स्तब्ध
भावनाएं वहीं, हां तुम हो छूटे
भूल गई झूठी बोलें हर झूठे
कौन नयन, दरस नव बसाए
मन हर्षाए पर लोगों से छुपाए
तौर-तरीके संग समय ले अनूठे
भूल गई झूठी बोले हर झूठे
प्रीत, प्रणय, प्यार होता कहां उन्मुख
दर्पण से बोलें छुप हो सम्मुख
क्रम किसको याद, कौन कब छूटे
भूल गई झूठी बोले हर झूठे।
धीरेन्द्र सिंह
12.08.2023
13.03
हो जाएंगे हताश
देह के द्वार पर प्यार की तलाश
युग रहा असफल हो जाएंगे हताश
एक झंकार पकड़ती हैं अनुभूतियां
भाव फ़नकार में मिलें यह रश्मियां
मुक्त गगन है नहीं, यह बाहुपाश
युग रहा असफल हो जाएंगे हताश
जीत कैसी हार कैसी और दबदबा
संघर्ष की फुहार देता इसे बज़बजा
दबंगता से कब हुआ, कोमल विन्यास
युग रहा असफल हो जाएंगे हताश
यह मुंडेर वह मुंडेर क्यों री गौरैया
प्रकृति है या प्यास,क़ उजबक खेवैया
एक ही मुंडेर पर टिकती नहीं आस
युग रहा असफल हो जाएंगे हताश
ध्यान है, सम्मान है, अभिमान है प्यार
विविधता मन में है, क्यों विविध यार
द्रवित, दमित होगा यह भ्रमित उल्लास
युग रहा असफल हो जाएंगे हताश।
धीरेन्द्र सिंह
12.08.2023
07.06