विश्व गौरैया दिवस पर : दो रचनाएं
तब। और। अब
सोनचिरैया। सोनचिरैया
मेरी गौरैया। किसकी गौरैया
मन मुंडेर। मन मुंडेर
रोज आए। मनचाहा धाए
जियरा। बिफरा
हर्षाए। उलझाए
नज़रें बोले। चाहत बोले
ता-ता थैया। ला-ला दैया।
मेरी गौरैया। किसकी गौरैया
भोली मासूम। भोली मासूम
फुदक की धूम। आकर्षण में घूम
भोर ले चूम। चोर ले चूम
मुंडेर ले घूम। मुंडेर चुप घूर।
मन कुहुके। तृष्णा उदके।
उसकी छैंया। उसकी छैयां
मेरी गौरैया। किसकी गौरैया।
नाम गौरैया। नाम गौरैया
प्रीत की ठइयाँ। मीत की ठइयाँ
मुंडेर बसेरा। मुंडेर बसेरा
भाव की नैया। भाव खेवैया।
कल्पना सजाए। कल्पना जिताए
यथार्थ खेवैया। स्वार्थ खेवैया
मेरी गौरैया।। किसकी गौरैया।
धीरेन्द्र सिंह
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