भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता
अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता
शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता
अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता
शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
अपना अपना नजरिया , ज़िन्दगी को देखने का।
जवाब देंहटाएंजी संगीता जी यह नजरिया ही तो है। नजरिया कितनी बातों को समेट लेती है। धन्यवाद।
हटाएंजिंदगी जैसे जिओ सब अपने हाथ में हैं
जवाब देंहटाएंकविता जी काश जैसे चाहे वैसा जी ले यह ज़िन्दगी। एक सकारात्मक ऊर्जा के लिए धन्यवाद कविता जी।
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