इलेक्ट्रॉनिक बयार है मोबाइल की छांव
गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव
चिकनी स्क्रीन पर दौड़ रही हैं अंगुलियां
अक्षर-अक्षर टाइप कर बोल रहे बोलियां
कहना औपचारिकता मांगे बस एक ठाँव
गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव
फ़िल्टर से चेहरे में भरकर गजब निखार
हर दिन चाहें हो जाए इलेक्ट्रॉनिक त्यौहार
वीडियो चैट करते चले भाव लहर नाव
गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव
धीर बनकर परिचय फिर बन जाते अधीर
इलेक्ट्रॉनिक प्यार में कहां मर्यादा लकीर
ब्लॉक अनब्लॉक खेल में करते आँय-बाँय
गिटिर-पिटिर अक्सर तो कभी कांव-कांव।
धीरेन्द्र सिंह
22.10.2024
16.32
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