सब कुछ अगर आप हैं
तो आप कौन हैं?
यही समझना है मुश्किल
कि ताप कौन हैं;
हर क्षण में लगते संयमित
यह थाप कौन है?
भावनाओं पर यह नियंत्रण
कि अपराध कौन है;
कब होंगे सहज आप भी
कि निभाव कौन है?
सर्वस्वता का भ्रम है क्यों
कि यह बिखराव क्यों है।
धीरेन्द्र सिंह
13.10.2024
08.19
पुणे
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