भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।
Nijatata काव्य
▼
सोमवार, 22 सितंबर 2025
रविवार, 21 सितंबर 2025
शनिवार, 20 सितंबर 2025
शुक्रवार, 19 सितंबर 2025