निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 2 सितंबर 2025

अभियुक्त

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 अभियुक्त समूह में होकर भी समूह से ना मैं संयुक्त जुड़ाव भूलकर कह उठे मुझे अभियुक्त हिंदी जगत के जंगल का हूँ एकल राही दायित्व भाषा साहित्य का...
6 टिप्‍पणियां:
सोमवार, 1 सितंबर 2025

रात बहेलिया

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 रात बहेलिया बनकर अपना काला जाल फेंक रही है अति विस्तृत अति महत्वाकांछी, चांदनी नहीं आ रही पकड़ में जाल घूम रहा है कुत्तों से बचते-बचाते भौंक...
रविवार, 31 अगस्त 2025

आएंगे

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 रोज ऐसे अगर आएंगे हम बेपनाह संवर जाएंगे मुझे दिखती है जिंदगी बंदगी में उमर बिताएंगे आने का है कई तरीका सलीका भी बुदबुदाएँगे अदाओं की देख आद...
शनिवार, 30 अगस्त 2025

चल बैरागी

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 संकुचित मर्यादाएं दबंग संस्कार व्यथित मनोकामनाएं भूसकल त्यौहार हर किसी का बाड़ा लुकछुप व्यवहार किसका किसपर उधार कहां कब अख्तियार सब जिएं ऐसे...
शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

कर्म का फल

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 कर्म अब धर्म, अर्थ, भाषा आधारित कर्म का फल प्रश्नांकित है, विचारित सत्कर्म है संबंधित समाज, देश नियम कर्म व्यक्तिजनित हतप्रभ अधिनियम पाप-पु...
गुरुवार, 28 अगस्त 2025

अधर आंगन

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 अधर के आंगन में अनखिले कई शब्द असर की चाहत में सिलसिले कई स्तब्ध नयन की गगरी से भाव तरल कभी गरल अगन की चिंगारियां हवा संग रही बहल अधर आंगन ...
बुधवार, 27 अगस्त 2025

पधारे मेरे घर

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 प्रगति सकल चिंतन हो एक सामाजिक गणवेश ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश सज्जा मनोभाव की करने का है यह एक प्रयास गौरव है प्राप्त ह...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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