निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 31 अगस्त 2025

आएंगे

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 रोज ऐसे अगर आएंगे हम बेपनाह संवर जाएंगे मुझे दिखती है जिंदगी बंदगी में उमर बिताएंगे आने का है कई तरीका सलीका भी बुदबुदाएँगे अदाओं की देख आद...
शनिवार, 30 अगस्त 2025

चल बैरागी

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 संकुचित मर्यादाएं दबंग संस्कार व्यथित मनोकामनाएं भूसकल त्यौहार हर किसी का बाड़ा लुकछुप व्यवहार किसका किसपर उधार कहां कब अख्तियार सब जिएं ऐसे...
शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

कर्म का फल

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 कर्म अब धर्म, अर्थ, भाषा आधारित कर्म का फल प्रश्नांकित है, विचारित सत्कर्म है संबंधित समाज, देश नियम कर्म व्यक्तिजनित हतप्रभ अधिनियम पाप-पु...
गुरुवार, 28 अगस्त 2025

अधर आंगन

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 अधर के आंगन में अनखिले कई शब्द असर की चाहत में सिलसिले कई स्तब्ध नयन की गगरी से भाव तरल कभी गरल अगन की चिंगारियां हवा संग रही बहल अधर आंगन ...
बुधवार, 27 अगस्त 2025

पधारे मेरे घर

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 प्रगति सकल चिंतन हो एक सामाजिक गणवेश ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश सज्जा मनोभाव की करने का है यह एक प्रयास गौरव है प्राप्त ह...
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सोमवार, 25 अगस्त 2025

गणेश

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 हर गली हर सड़क हर बिल्डिंग लिए एक भेष आ गए हैं मुंबई की धड़कन, ऊर्जा लिए गणेश अति विशाल अति भव्य झांकिया समय संभव अति विशाल महानगरी देखता न क...

दौर के दौड़

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 दौर के दौड़ में हैं थक रहे पाँव गौर से तौर देखे कहाँ तेरा गांव एक जगत देखूं है ज्ञानी अभिमानी एक जगत निर्मल निर्मोही जग जानी जिससे भी पता पू...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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