निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 28 अगस्त 2025

अधर आंगन

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 अधर के आंगन में अनखिले कई शब्द असर की चाहत में सिलसिले कई स्तब्ध नयन की गगरी से भाव तरल कभी गरल अगन की चिंगारियां हवा संग रही बहल अधर आंगन ...
बुधवार, 27 अगस्त 2025

पधारे मेरे घर

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 प्रगति सकल चिंतन हो एक सामाजिक गणवेश ऐसी बोली बोल रहे हैं पधारे मेरे घर श्री गणेश सज्जा मनोभाव की करने का है यह एक प्रयास गौरव है प्राप्त ह...
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सोमवार, 25 अगस्त 2025

गणेश

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 हर गली हर सड़क हर बिल्डिंग लिए एक भेष आ गए हैं मुंबई की धड़कन, ऊर्जा लिए गणेश अति विशाल अति भव्य झांकिया समय संभव अति विशाल महानगरी देखता न क...

दौर के दौड़

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 दौर के दौड़ में हैं थक रहे पाँव गौर से तौर देखे कहाँ तेरा गांव एक जगत देखूं है ज्ञानी अभिमानी एक जगत निर्मल निर्मोही जग जानी जिससे भी पता पू...
शनिवार, 23 अगस्त 2025

आध्यात्मिक

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अस्वाभिक परिवेश में बुलाया ना करो आध्यात्मिक हो यह दिखावा ना करो माना कि स्वयं को हो करते अभिव्यक्त पर यह तो मानो हर आत्मा यहां है भक्त धर्म...
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मर्द

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 सबकी अपनी सीमाएं सबके अपने दर्द अपनी श्रेष्ठता निर्मित करना क्या है मर्द आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक परिवेश इन तीनों से होता निर्मित मानव का...
गुरुवार, 21 अगस्त 2025

छनाछन

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 भूल जाइए तन मात्र रहे जागृत मन प्रतिध्वनि तब उभरेगी छन छनाछन काया की माया में है धूप कहीं छाया मन से जो जीता वह जग जीत पाया आत्मचेतना है सु...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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