निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 10 अगस्त 2025

जनकल्याण

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 सब कुछ बदल देंगे, कथ्य डंटा है यह राय है समय का, सत्य बंटा है एक हौसला से ही हो पाता फैसला कुछ बात है कि लगे हौसला छंटा है डैने पसारकर उड़ने...
शनिवार, 9 अगस्त 2025

सचेतक हुंकार

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 उत्सव है, खुशियां हैं, वस्त्रों की झंकार है भीड़ सुबह दुकानों पर उड़ रहा प्यार है यह भी एक चर्चा है त्यौहार बस पर्चा है रक्षाबंधन से प्रारंभ ...
1 टिप्पणी:
गुरुवार, 7 अगस्त 2025

संस्कार

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 जैसा देखा जीवन वैसा निर्मित आकार आदर्श, नैतिकता संग बनता है संस्कार कुछ परंपरा से मिली जीवन की आदत कुछ परिवेश से भी बढ़ जाती है लागत कुछ शिक...
बुधवार, 6 अगस्त 2025

भाग चलें

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 खुद में खुद को बांटना चाहता है व्यक्ति परिवेश से भागना चाहता है एक घुटन में सलीके से जी रहा है खुद की ऊष्मा खुद तापना चाहता है कहीं अकेले क...

प्रौढ़ावस्था

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 आप चलचल, आप चपल, आप चंचल आप धवल, आप कंवल, आप कलकल शिशु कभी दिखता कभी दिखे किशोरावस्था कभी यौवन उन्मादी सा क्या खूब प्रौढ़ावस्था भाव चहके मन ...

विशिष्ट बनिए

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 हिंदी में हैं लिखते तो क्यों परिशिष्ट बनिए कुछ अपना भी आरम्भ कर विशिष्ट बनिए कुछ नया गठन से निर्मित हो साहित्य सदन धरा आपको भी पूछे पहचानता...
मंगलवार, 5 अगस्त 2025

धराली गांव

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 उत्तरकाशी का धराली गाँव गंगोत्री यात्रा का प्रमुख पड़ाव बादल फटा मलबा बहा प्रचंड देखते ही देखते कई घर घाव प्रकृति के करीब प्रकृति अनुसार व्य...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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