निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 4 अगस्त 2025

प्यास

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जीवन की टहनियों से शब्दों को लिए तोड़ वह ताक दिए थे बस जीवन को लिए मोड़ आस चढ़ी प्यास कुछ खास हुए एहसास जाना-बूझा न सुना रिश्ता सा लिए जोड़ टहनी...
शनिवार, 2 अगस्त 2025

गांव

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 गलियां सूनी हैं पहेलियों के पांव निदिया न आए नयन भरे हैं गांव राहों की माटी पकड़ रही हैं छोड़ धूल बनकर दौड़ती जिंदा कहां मोड़ खेत-खलिहान लगे कौ...
गुरुवार, 31 जुलाई 2025

धर्माचार्य

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 वासना से जुड़कर अब चर्चा चरित्र हो गयी दो धर्माचार्य की टिप्पणियां पवित्र हो गयी सृष्टि के आरंभ से पनपती रही हैं कामनाएं वृष्टि आर्थिक विकास...

न्यायालय

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 तत्व छूट जाता सत्य रहता लड़खड़ाता न्यायालय कथ्य उबाल तथ्य न ले आता सत्ता और शक्ति में संभव है असंतुलन नागरिकता ज्वलंत न तो संभव है दलन आत्मा ...
बुधवार, 30 जुलाई 2025

रीता है

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 सब लोग कहें कुशल-मंगल सब बीता है कौन जाने किसके जीवन में क्या रीता है सभी प्रयास सभी सावधानियां नियमावली बढ़ते कदम अथक पर घुमाती रही वही गली...
मंगलवार, 29 जुलाई 2025

भूंरी पत्ती

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हवा के झोंके से आ गयी चिपक भूंरी सी कम नमी वाली वह पत्ती चिहुंक मन जा जुड़ा वहीं पर फिर जहां जलती ही रहती भाव अगरबत्ती थोड़ी कोमल थोड़ी खुरदुरी...
सोमवार, 28 जुलाई 2025

अविरल

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 हरे पत्ते पर तैरता दीया लय में बहती लहरें मंथर भाव मेरे दीपक मान लो और तुम लहरों सी निरंतर समय हवा सा बहते जाता दीया की लौ लचक धुरंधर आस्था...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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