निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

मंगलवार, 6 मई 2025

पानी न दी

›
 (नई दिल्ली, एनसीआर में घटित एक सत्य घटना पर आधारित रचना जहां कुछ पुरुषों ने मिलकर एक उभरती सशक्त रचनाकार को ऐसा भरमाया की उसने लेखन बंद कर ...
सोमवार, 5 मई 2025

भाव जगाने

›
 कुचले गए हैं भाव निभाने को तराने कुचलन करे उछलन वही भाव जगाने स्तब्ध जब किया जप्त हुई भावनाएं सुलगती राख हो गयी कई कामनाएं ढांढस बंधाए लेकर...
रविवार, 4 मई 2025

गमन

›
 साँसों पर होती उन कदमों की थिरकन फूलों का खिलना उन नगमों की सिहरन महकती फिजां में यह सोच हो खड़ी कहे पुष्प है या कि है उनकी यह नई महकन उन्हे...
शुक्रवार, 2 मई 2025

सदा

›
 नादानियाँ नहीं तो उम्र का क्या मजा जो वर्ष गिनना जानें दें उम्र को सजा कब चढ़ती उम्र कब ढलती है जवानी ढूंढा इसे बहुत कह न पाई जिंदगानी मन जव...
गुरुवार, 1 मई 2025

मैं

›
 यदि मैं प्रतीत हूँ तो प्यार का प्रतीक हूँ यदि मैं व्यतीत हूँ तो यार का अतीत हूँ यदि मैं अनदेखा तो खुद से करूँ धोखा यदि भीड़ का गुमशुदा तो शो...
बुधवार, 30 अप्रैल 2025

कश्मकश

›
 जिंदगी के कश्मकश में चाहत किश्मिश सा स्वाद किस्मत किसलय सा लगे चहक किंचित घटे विवाद पगुराते नयनों में गहि छवि पलक नमी करे संवाद प्रतीकात्मक...
मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

तथ्य

›
 तथ्य है तो तत्व है तत्व में है तथ्य शंकित कथ्य है घनत्व है घनत्व में कथ्य किंचित समाज है तो शक्ति है शक्ति में समाज वंचित मानव हैं मानवता ह...
1 टिप्पणी:
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.