निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 28 अप्रैल 2025

क्यों है

›
 समझ ले तुमको कोई  यह जरूरी क्यों है लोग देतें रहें सम्मान यह मजबूरी क्यों है हृदय संवेदनाएं करें बातें बातों की जी हजूरी क्यों है खुद को ढा...
रविवार, 27 अप्रैल 2025

कविता

›
 कविता प्रायः ढूंढ ही लेती है धुंध से वह तस्वीर जो तुम्हारी साँसों से होती है निर्मित और जिसे पढ़ पाना अन्य के लिए एक दुरूह कार्य है, कल्पनाए...

रहस्यमय

›
 भोर में टर्मिनल 3 पर लगातार अर्धसैनिक चार-पांच के झुंड में आते जा रहे थे और कुछ देर में  गेट 46-47 की सभी कुर्सियों पर अर्धसैनिक ही थे, कभी...
सोमवार, 21 अप्रैल 2025

किसान

›
 गेहूं की फसल खड़ी पगडंडी अविराम है कृषक कहां कृषकाय खेती तो अभिमान है फसलें भी हैं चित्रकारी कृषि तूलिका तमाम हैं अर्थव्यवस्था अनुरागी यह खे...
रविवार, 20 अप्रैल 2025

एक्सप्रेसवे

›
 तपती-जलती सड़कें और उसपर दौड़ता-भागता परिवहन सड़क के दोनों ओर कभी ढूर-ढूर तक भूरी जमीन तो कभी जंगल और पहाड़, गंतव्य की ओर जाना भी कितना कठिन, ट...
शनिवार, 19 अप्रैल 2025

मयेकर वाड़ी

›
 एक लड़की हर सुबह ले चाय का कप बैठती है पत्थर पर और बातें करती हैं पत्तियों से, नारियल वृक्ष से पूछती हालचाल डाल की प्रकृति के भाल की, एक लड़क...
गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

वह

›
 प्रेम मेरा बंध चुका है वक़्त से वह नुचा है वह कविताएं पढ़ती है भाव ना कोई जुदा है प्रेम कलश एक होता ब्याह संग क्या जुड़ा है परिणय दुनियादारी ह...
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें

मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें
Blogger द्वारा संचालित.