निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

रविवार, 20 अप्रैल 2025

एक्सप्रेसवे

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 तपती-जलती सड़कें और उसपर दौड़ता-भागता परिवहन सड़क के दोनों ओर कभी ढूर-ढूर तक भूरी जमीन तो कभी जंगल और पहाड़, गंतव्य की ओर जाना भी कितना कठिन, ट...
शनिवार, 19 अप्रैल 2025

मयेकर वाड़ी

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 एक लड़की हर सुबह ले चाय का कप बैठती है पत्थर पर और बातें करती हैं पत्तियों से, नारियल वृक्ष से पूछती हालचाल डाल की प्रकृति के भाल की, एक लड़क...
गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

वह

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 प्रेम मेरा बंध चुका है वक़्त से वह नुचा है वह कविताएं पढ़ती है भाव ना कोई जुदा है प्रेम कलश एक होता ब्याह संग क्या जुड़ा है परिणय दुनियादारी ह...
बुधवार, 16 अप्रैल 2025

अमृता प्रीतम

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 हिंदी साहित्य जगत में सत्तर, अस्सी का दौर जहां लेखक प्रबल थे प्रतिभाशाली थे समीक्षक  और था दबदबा हिंदी साहित्य लेखन का, अमृता प्रीतम, इमरोज...
1 टिप्पणी:
मंगलवार, 15 अप्रैल 2025

मूल्य

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 आइए संयुक्त मिल रचना करें साहित्य में मिल कुछ गहना धरें आप भी बुनकर तो बेमिसाल हैं युग्म से रच स्वर्ण अंगना भरें दस ग्राम स्वर्ण मूल्य एक ल...

पूर्णता

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 हम नयन के कोर में देख लेते हैं झिलमिलाता कहन करता आलोकित गगन शांत, सौम्य तकती रहती आकांक्षाएं रंगते, गढ़ते अपना चमन, हल्की उजियारी सी आभा और...
सोमवार, 14 अप्रैल 2025

प्रणय

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 कौंध जाती नयन पुतली हृदय में गिरी बिजली क्या नई यह तान है या प्रणय निज गान है उभर आती चाँद सी  शगुन की याद सी उदित सूरज सम्मान है या प्रणय ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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