निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 7 अप्रैल 2025

चाह

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 अब भी तो बरसती हैं वैसी ही बदलियां अब भी रहे हैं भींग पर वह बात नहीं मनोभाव अब भी चाहे वही “अठखेलियाँ” बदन की साध कहे, अब वह चाह कहीं बूंदो...
शनिवार, 5 अप्रैल 2025

काव्य

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 अधिकांश, काव्य शब्दों में समझते हैं काव्यांश भावनाओं के यूं झुलसते हैं लगता है प्रतीक, बिम्ब धुंध हो गए भाव काव्य के कैसे अब कुंद हो गए शब्...
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शुक्रवार, 4 अप्रैल 2025

हिंदी समूह

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 हिंदी समूह से जुड़ना मेरा भाषा कर्तव्य है तू बता समूह सफल साहित्य क्या महत्व है? कितने समूह छोड़ दिया जो कहते भव्य हैं कुछ ने मुझे निकाला सोच...

चैत्र नवरात्रि

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 चैत्र नवरात्रि जुड़े धर्मयात्री कर्म आराधना दुर्गा सर्वदात्री व्रत है साध्य लक्ष्य जगदात्री आदिशक्ति माँ सिद्ध हो नवरात्रि पीड़ाएं वहन क्रीड़ा...

मॉडरेशन

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 साहित्य और संस्कृति का हो निज आचमन व्यक्ति वही करे रचनाओं का नित मॉडरेशन समूह का आधार होगा, चयन मॉडरेटर का समूह संस्थापक भी हैं, एडमिन साका...
मंगलवार, 1 अप्रैल 2025

नग्नता

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 वस्त्र की दगाबाजी कहां से सीखा मानव कब कहा प्रकृति ने ढंक लो तन कपड़ों से, सामाजिकता और सभ्यता का दर्जी सिले जा रहा कपड़े मानवता उतनी ही गति ...
1 टिप्पणी:
सोमवार, 31 मार्च 2025

छल

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 जो बीत गया वह सींच गया चिंतन कैसा जो होगा वह भविष्य सोच अकिंचन कैसा वर्तमान को ना लिखना है असाहित्यिक आज का लेखन ना हो तो मंथन कैसा मन के स...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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