निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 31 मार्च 2025

छल

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 जो बीत गया वह सींच गया चिंतन कैसा जो होगा वह भविष्य सोच अकिंचन कैसा वर्तमान को ना लिखना है असाहित्यिक आज का लेखन ना हो तो मंथन कैसा मन के स...
रविवार, 30 मार्च 2025

वह

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 सत्य सम्पूर्ण अपना जब जतलाया रूठ गईं एक सदमा सा लगा और जैसे वह टूट गईं मुझे ना पसंद कुछ छिपाना कुछ जताना पारदर्शी ही होता है जिसे कहते हैं ...
शनिवार, 29 मार्च 2025

हिन्दू नववर्ष

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 हिन्दू विक्रम संवत 2082 नववर्ष चैत्र महीने का शुक्ल पक्ष प्रतिपदा विक्रम संवत साल है सूर्य आधारित वराह मेहर खगोल शास्त्री ने रचा चक्रवर्ती ...
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शुक्रवार, 28 मार्च 2025

भक्ति

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 यही मेरी पूजा और धूप अगरबत्ती आत्मा को छूँ सकूं निर्मित हो हस्ती तुम में ही है देवत्व शून्य बोल रहा है इंसान ही भगवान है सच ना मस्ती हाड़-मा...
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बुधवार, 26 मार्च 2025

लूट लिए

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 कभी आंगन में बिछाकर सपने मुझको लूट लिए मेरे ही अपने बहुत चाह सी थी उनपर निर्भर मेरे साथ हैं तो स्वर्णिम है घर बड़े विश्वास से टूट गया अंगने ...

सीखचों

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 सीखचों से मैं घिरा आप क्या आजाद हैं खींच तो हैं सब रहें पर मुआ जज्बात है पल्लवन की आस में झूमती हैं डालियां कलियां रहीं टूट अर्चना की तो बा...
मंगलवार, 25 मार्च 2025

प्रसिद्धि

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 यह प्रदर्शन, इस रुतबा का औचित्य क्या प्रसिद्धि का लंबा है कहीं व्यक्तित्व क्या कुछ तो इतिहास में जाते हैं खूब पढ़ाए सत्य क्या है यह प्रायः स...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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