निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 22 मार्च 2025

लौट आए

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 ब्लॉक करके भी खुल भूलते नहीं याद आते हैं उनकी अदा तो नहीं ब्लॉक कर दिया ढिंढोरा पीटे खूब छपी किताबें जो वह धता तो नहीं मास मीडिया को कर दिए...
बुधवार, 19 मार्च 2025

छत बगीचा

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 क्या खूब क्या उत्तम है यह सोचा मुंबई में इमारतों पर होगा बगीचा मूल कारण है पर्यावरण का नियंत्रण स्थान नहीं, हो कहां पर वृक्षारोपण छत पर सुव...
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मन में

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 मेरे मन में बस्तियां बेशुमार हैं पता नहीं चलता कहाँ से पुकार है, पकड़ ही लेता हूँ स्त्रोत दूर कहीं बहुत दूर दिखता है चाँद नहीं भी दिखता है, ...
मंगलवार, 18 मार्च 2025

सुनि विलियम्स

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 09 महीने तेरह दिन रहे गुरुत्वाकर्षण बिन सुनि विलियम्स भारतीय मूल इसीलिए मन देता उन्हें तूल विगत हमारा अंतरिक्ष प्रवीण रहे गुरुत्वाकर्षण बिन...

प्रतिक्रिया

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 सोच रहा हूँ अपनी रचनाओं पर प्राप्त प्रतिक्रियाओं का वृहद कोलाज बनाऊं और मध्य में बसा खुदका चित्र, फिर जीवन का उल्लास मनाऊं, कैसे पढ़ लेती है...
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सोमवार, 17 मार्च 2025

सखी

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 वैचारिक बूंदें स्वाति नक्षत्र समान भाव मिलन से निर्मित हो संज्ञान अभिव्यक्तियां सृष्टि सदृश अनुगामी कहना-सुनना भी व्यक्तिपरक विधान इस समूह ...
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रविवार, 16 मार्च 2025

हो ली

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 जो लोग डर नहीं खेलते हैं होली अभद्रता देख कहें सभ्य हो ली आजकल आ रहे हैं कई रील होली उत्सव या शारीरिक कील रंगों में फसाद और गीला-गीली अभद्र...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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