निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 15 मार्च 2025

बाबा रे

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 बाबा रे क्या गज़ब करते हो बातों को कैसे लिख देते हो अहा ! वाह ! मैं तो न कहती, बोल गईं यूं वह मन का क्या वह जाता वहीं बह ओहो ! रहने दो ! हा ...
1 टिप्पणी:
शुक्रवार, 14 मार्च 2025

होली के दिन

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 होली के दिन प्रातः 7.15 पर उनको भेज दिया होली संदेसा कुल छह परिच्छेद में निखरा-उभरा-बिखरा मनोभाव उन्मुक्त, इस संदेसे में मात्र शुभकामनाएं ह...
गुरुवार, 13 मार्च 2025

शुभ होली

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 शुभ होली -जीवन की टोली जिसका जितना मन महका उतना बहका है रंग होली कर धारित कई अभिनव तबका है कुछ घर में रंगों की गुणवत्ता जांचे यूं ही कुछ मा...
बुधवार, 12 मार्च 2025

बाधित होली

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 अबकी संभल चलिए उत्सवी टोली में रंग-रंग तरंग लगे बाधित क्यों होली में रंगों की यदि बात करें सर्वश्रेष्ठ तिरंगा दीवानों-मस्तानों से बना राष्ट...
सोमवार, 10 मार्च 2025

ऑनलाइन रिश्ता

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 कोई भाई, कोई अंकल, गुरु कोई प्रियतम ऑनलाइन क्या हुआ रिश्तों का यह चलन कितनी आसानी से जुड़ जाते हैं यहां लोग व्यक्तित्व न रखें एकल हो रिश्ते ...

रंग

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एक मीठी-मीठी मद्धम-मद्धम सांस तुम्हारी आस दुलारे होली आई अंग रंग लाई उडें गुलाल विश्वास पुकारे छू लेता रंग लगे छू गयी वफ़ा मन अकुलाया मन कौन ...
रविवार, 9 मार्च 2025

कथ्य-तथ्य

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 कथ्य और तथ्य की है गरिमा तत्व और सत्य की है महिमा कथ्य कहे क्या हुआ है कहिए तथ्य कहे तत्व को तो समझिए तत्व कहे घनत्व तो है मध्यमा तत्व और स...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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