निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 10 मार्च 2025

ऑनलाइन रिश्ता

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 कोई भाई, कोई अंकल, गुरु कोई प्रियतम ऑनलाइन क्या हुआ रिश्तों का यह चलन कितनी आसानी से जुड़ जाते हैं यहां लोग व्यक्तित्व न रखें एकल हो रिश्ते ...

रंग

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एक मीठी-मीठी मद्धम-मद्धम सांस तुम्हारी आस दुलारे होली आई अंग रंग लाई उडें गुलाल विश्वास पुकारे छू लेता रंग लगे छू गयी वफ़ा मन अकुलाया मन कौन ...
रविवार, 9 मार्च 2025

कथ्य-तथ्य

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 कथ्य और तथ्य की है गरिमा तत्व और सत्य की है महिमा कथ्य कहे क्या हुआ है कहिए तथ्य कहे तत्व को तो समझिए तत्व कहे घनत्व तो है मध्यमा तत्व और स...
शनिवार, 8 मार्च 2025

रचनात्मकता

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 रचनात्मकता लुप्त हो जाती है जब उनके टाईमलाइन पर होती है प्रस्तुत दूसरों की लिखी रचनाएं, इसका सीधा अर्थ, चुक गए हैं प्रयास अन्य की रचना से ज...

जबरदस्ती

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 कविताएं अब उभरती नहीं हैं लिखी जाती हैं शब्दों की भीड़ से, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस दिनभर कविताएं फुदकती रहीं कभी यह समूह तो कभी वह ग्रुप, ...
शुक्रवार, 7 मार्च 2025

महिला दिवस

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 कमनीयता केवल प्रथम शौर्य है नारीत्व का यही सजग दौर है मन है लचीला तन भी है लचीला दायित्व वहन सहज मातृत्व गर्वीला विभिन्न छटा नारी वह सिरमौर...
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बुधवार, 5 मार्च 2025

रंग अनेक

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 शब्द-शब्द अंगड़ाई है भाव-भाव अमराई नयन रंग अनेक हैं होली आई रे आई पहले मन रंग जमाता चुन अपने सपने बाद युक्ति मेल सजाता दिखने और छुपने  रंग ग...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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