निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 8 मार्च 2025

रचनात्मकता

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 रचनात्मकता लुप्त हो जाती है जब उनके टाईमलाइन पर होती है प्रस्तुत दूसरों की लिखी रचनाएं, इसका सीधा अर्थ, चुक गए हैं प्रयास अन्य की रचना से ज...

जबरदस्ती

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 कविताएं अब उभरती नहीं हैं लिखी जाती हैं शब्दों की भीड़ से, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस दिनभर कविताएं फुदकती रहीं कभी यह समूह तो कभी वह ग्रुप, ...
शुक्रवार, 7 मार्च 2025

महिला दिवस

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 कमनीयता केवल प्रथम शौर्य है नारीत्व का यही सजग दौर है मन है लचीला तन भी है लचीला दायित्व वहन सहज मातृत्व गर्वीला विभिन्न छटा नारी वह सिरमौर...
1 टिप्पणी:
बुधवार, 5 मार्च 2025

रंग अनेक

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 शब्द-शब्द अंगड़ाई है भाव-भाव अमराई नयन रंग अनेक हैं होली आई रे आई पहले मन रंग जमाता चुन अपने सपने बाद युक्ति मेल सजाता दिखने और छुपने  रंग ग...
मंगलवार, 4 मार्च 2025

पढ़ती हैं

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 आप टिप्पणी संग मुझे गढ़ती हैं लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं पुरुष बुरा ना मानें उनका भी हाथ पर विपरीत लिंग हो तो साथ नाथ एक संपूर्णता ही सृष्ट...
सोमवार, 3 मार्च 2025

साड़ी

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 समय उपहार मिलते चली गाड़ी जैसे पहन खिल उठीं नई साड़ी दृष्टि चौंक गई हृदय भी मुस्काया रंग साड़ी का बैठने का अंदाज भाया शालीन मुद्रा में बैठी प्...
रविवार, 2 मार्च 2025

इश्क़

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 तिश्नगी तूल देती रहती हरदम जिंदगी मांगती रहती है हमदम कई कदम बढ़ चुके आपकी ओर आप आशियाँ पर फहराते परचम मेरे झंडे का एहतराम करो बोलें एक तलाश...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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