निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

बुधवार, 5 मार्च 2025

रंग अनेक

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 शब्द-शब्द अंगड़ाई है भाव-भाव अमराई नयन रंग अनेक हैं होली आई रे आई पहले मन रंग जमाता चुन अपने सपने बाद युक्ति मेल सजाता दिखने और छुपने  रंग ग...
मंगलवार, 4 मार्च 2025

पढ़ती हैं

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 आप टिप्पणी संग मुझे गढ़ती हैं लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं पुरुष बुरा ना मानें उनका भी हाथ पर विपरीत लिंग हो तो साथ नाथ एक संपूर्णता ही सृष्ट...
सोमवार, 3 मार्च 2025

साड़ी

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 समय उपहार मिलते चली गाड़ी जैसे पहन खिल उठीं नई साड़ी दृष्टि चौंक गई हृदय भी मुस्काया रंग साड़ी का बैठने का अंदाज भाया शालीन मुद्रा में बैठी प्...
रविवार, 2 मार्च 2025

इश्क़

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 तिश्नगी तूल देती रहती हरदम जिंदगी मांगती रहती है हमदम कई कदम बढ़ चुके आपकी ओर आप आशियाँ पर फहराते परचम मेरे झंडे का एहतराम करो बोलें एक तलाश...
शनिवार, 1 मार्च 2025

अजूबा शिल्पकार

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 रेत के टीले पर कामनाओं का है महल अजूबे शिल्पकार की है अभिनव पहल कहां अब परम्पराओं की हो अनदेखी विगत सृष्टि की अदहन हो शिलालेखी सुगंध फिर वह...
शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

दुलार है

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 वह अनुभूतियों की रंगीन गुबार है हसरतें खिल जाएं ऐसी वह दुलार है ऑनलाइन ही हो पाती हैं बस बातें मैं खुली किताब ध्यान से वह बाचें उसकी मर्याद...
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

छपाक

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 एक हल्की छप्प कोई मछली उछली होगी अन्यथा यह गहरा शांत समंदर असीम भंडार लिए अपने अंदर धरती की तरह रहता है सहज, शांत, एकाग्र, एक हल्की स्मिति ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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