निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

दुलार है

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 वह अनुभूतियों की रंगीन गुबार है हसरतें खिल जाएं ऐसी वह दुलार है ऑनलाइन ही हो पाती हैं बस बातें मैं खुली किताब ध्यान से वह बाचें उसकी मर्याद...
गुरुवार, 27 फ़रवरी 2025

छपाक

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 एक हल्की छप्प कोई मछली उछली होगी अन्यथा यह गहरा शांत समंदर असीम भंडार लिए अपने अंदर धरती की तरह रहता है सहज, शांत, एकाग्र, एक हल्की स्मिति ...
बुधवार, 26 फ़रवरी 2025

शिवत्व

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 उसी का महत्व है जिसमे शिवत्व है नीलकंठ कौशल वही अस्तित्व है मानवता श्रेष्ठ प्रेम दूजे का कुशल क्षेम स्व से सर्वभौम है ऊर्जा प्रायः मौन है प...
मंगलवार, 25 फ़रवरी 2025

जीत की तैयारी

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 वर्तमान के व्यक्तित्व अभिमन्यु हैं निरंतर तोड़ते व्यूह रचनाएं, आक्रामक परिवेश है परिचित अधिक अपरिचित कम महाभारत का परिवेश यह ना वहम, कितने अ...
सोमवार, 24 फ़रवरी 2025

देह

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 नेह-नेह दृष्टि है देह-देह सृष्टि है मन की बात हो भाव का नात हो चाहत की वृष्टि है देह-देह सृष्टि है बातें सभी हो जाएं देह चुप हो सुगबुगाए दे...
रविवार, 23 फ़रवरी 2025

प्यार दोबारा

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 तब जला था दीप प्यार जब राह ढल पड़े थे किसने किए प्रयास कहां दो हृदय मिल पड़े थे कामना का मांगना जारी याचना राह बल पड़े थे क्षद्म हवा इतनी लुभा...
शनिवार, 22 फ़रवरी 2025

मस्त कलंदर

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 बस आप ही नहीं समंदर सभी ने छुपाया मन अंदर यह दुनिया का उपहार है व्यक्ति बन जाता है जंतर अधूरी हैं अक्सर अभिलाषाएं जीवन भूलभुलैया जंतर-मंतर ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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