निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 16 जनवरी 2025

यार लिखूं

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 उठे मन में भाव प्यार तो मैं प्यार लिखूं शब्दों में ढालकर अपना मैं वही यार लिखूं जलधार की तरह अब तो प्यार रह गया सब कहते हैं स्थिर पर है प्य...

घर

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 हाथ असंख्य बर्तनों के काज हो गए कहने लगे घर कितने सरताज हो गए दीवारों को गढ़कर मनपसंद रूप सजाए हर गूंज हो गर्वित खूब दीप धूप जलाए बजती रही घ...
बुधवार, 15 जनवरी 2025

अष्तित्व

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 जल में प्रवाहित ज्योति होती है आस्था और माटी का दीपक एक आधार, तट इसी प्रक्रिया से हो उठता है विशिष्ट, महत्वपूर्ण और पूजनीय भी, चेतना की लहर...
मंगलवार, 14 जनवरी 2025

पुश पोस्ट

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 फेसबुक अब “पुश पोस्ट” का आसमान हो गया समूह की पोस्ट पढ़ना कठिन अभियान हो गया अनचाहे वीलॉग, पेज, विज्ञापन हैं धमक जाते पढ़ना ही पड़ेगा कितना दौ...
रविवार, 12 जनवरी 2025

एक मर्म

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 बहुत बोझ लगती हैं अब तो किताबें नयन आपके भी तो कहते बहुत हैं पन्ने पलटने से मिलते वही सब कुछ जो आपकी नजरों से बिखरते बहुत हैं जैसे रुपए से ...
शनिवार, 11 जनवरी 2025

तासीर

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 मत आइएगा मैसेंजर पर मेरे तासीर आपकी मुझको है घेरे एक दौर मिला था बन आशीष किस तौर बातें जाती थीं पसीज यूं मैसेंजर देखूं सांझ और सवेरे तासीर ...
शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

उलाहना

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 वैश्विक हिंदी दिवस पर मिला उनका संदेसा थी कोमल शिकायत नव वर्ष संदेसा न भेजा क्या करता, क्या कहता, उन्होंने ही था रोका कुछ व्यस्तता की बातकर...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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