निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

सोमवार, 30 दिसंबर 2024

वह

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 खयाल अपने बदलकर वह जवाब हो गए करने लगे चर्चा कि हम बेनकाब हो गए जब तक चले थे साथ, भर विश्वास हाँथ बुनते गए खुद को, देता रहा हर काँत पहचान म...
रविवार, 29 दिसंबर 2024

भींगी आतिश

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 सर्दियों की बारिश चाहतों की वारिस दावा ले बरस पड़ी शुरू हुई सिफारिश बूंदों की हसरतें हैं बादलों की नवाजिश हवाओं में है नर्तन उनिदों की गुजार...
शनिवार, 28 दिसंबर 2024

ठंढी

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  शीतल चले बयार दिल जले हजार किसी को पड़ी कहां कंबल बंटते दग्ध अलाव मन पुकार अजी वह अड़ी कहां कविताएं हर भाव जगाएं खूब नचाए साजिंदों की अढ़ी कह...
गुरुवार, 26 दिसंबर 2024

वैवाहिक जीवन

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 वैवाहिक जीवन के अक्सर झगड़े हाँथ उठाने से हो जाते क्या तगड़े सुविधापूर्ण जगत में सारी सुविधाएं धन एकत्र करने की होड़ और पाएं प्रतियोगिता, दबाव...
मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

फुलझड़ी

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 हम उसी भावनाओं की फुलझड़ी हैं आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है रंगबिरंगी रोशनी से है जिंदगी नहाई शुभसंगी कौतुकी में है बंदगी अंगड़ाई समस्याएं स...

प्रेम कली

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 आप यथार्थ मैं यथार्थ अस्पष्ट हैं सब भावार्थ अभिव्यक्तियां विभिन्न दावा सभी करें समानार्थ बूंद चुनौती सागर देती गागर थिरकन चित्रार्थ लहरें क...
सोमवार, 23 दिसंबर 2024

साइबर क्राइम

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 बातों ही बातों में ले लेते हैं रुपए साइबर क्राइम के शिक्षित बहुरुपिए शालीनता, शिष्टता के बन पुजारी कितनों के खाते में की है सेंधमारी अर्थजा...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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