निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 14 दिसंबर 2024

मर-मर जीने में

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 कोई जब याद करता है बरसते भाव सीने में वही वादी लगे खाईं है लरजते मर-मर जीने में हर घड़ी प्यार की पुचकार भरी जग आशाएं क्या पड़ी किसपर कोई भला ...

कौआ

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 कौआ चला हंस की चाल गिरगिट ऑरकेस्ट्रा दे तान लगे गिलहरी सा यह जीवन पेड़, डालियाँ जीवन अनुमान गिरगिट सा रंग बदलता ऑरकेस्ट्रा तीन धारियां ब्रां...
शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

पीठासीन

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 सत्य की अर्जियां तो दीजिए कथ्य की मर्जियाँ भी लीजिए प्रजातंत्र की है यह स्वतंत्रता बरसते भाव रीतियों से भीगिए आप विजेता नेता सा चल रहे ठाठ ...
गुरुवार, 12 दिसंबर 2024

चेहरा

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 बहुत भोला सा निष्कपट चेहरा देखते बोला नयन लिपट चेहरा जीवन चुनौतियों की सिमटी हवाएं संघर्ष नीतियों की विजयी पताकाएं शालीनता से गर्वित चले फह...
बुधवार, 11 दिसंबर 2024

जीवन

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 जीवन एक प्यास एक आस एक तलाश पर क्या यह है सच? खरगोश सा है अधिकांश जीवन एक बनाई परिधि में निर्द्वंद्व भटकना और रहना प्रसन्न उसी परिवेश में ज...
शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024

सीढियां

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 एक युवती घुटनों बल चढ़ रही थी सीढियां वह शक्ति नहीं था स्वभाव दे गई पीढियां कई वयस्क हांफ रहे थे चढ़ते हुए लगातार सदियों पुरानी, भारतीय पुरात...
गुरुवार, 5 दिसंबर 2024

झुरमुट

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 झुरमुटों को पंख लग गए हैं बिखरकर प्रबंध रच गए हैं हवा न बोली न सूरज बौराया अब लगे झुरमुट ही ठंस गए हैं झुनझुनाहट झुरमुटों का स्वभाव है झुंड...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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