निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

शनिवार, 9 नवंबर 2024

छंट रहे

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 जाने कितना झूमता ब्रह्मांड है मस्तिष्क भी तो सूर्यकांत है ऊर्जाएं अति प्रबल बलिहारी भावनाएं इसीलिए आक्रांत है दीख रहा जो दीनता का प्रतीक पा...
गुरुवार, 7 नवंबर 2024

बना की मस्तियां

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 अद्भुत, असाधारण, अनमोल हस्तियां समझ का ठीहा है बनारस की मस्तियां अपनी ही धुन के सब अथक राही हर जगह मस्त शहर, गांव या पाही यहां बिना न्याय उ...

बना सपने

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 कहां से कहां तक फैले हसीन अपने यहां-वहां सारे जहां दिखे बनारसी सपने दिल की हर खनक दर्शाते हैं बनारसी जहां कहीं होते यह बन जाते सारथी समूह स...

आहट

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 किसी गुनगुनाहट की आहट मिले वही ताल धमनियां नचाने लगे संयम की टूटन की आवाज़ें हों यूं लगे रोम सब चहचहाने लगे न जाने यह कैसे उठी भावनाएं अकेले...

फफनते

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 फफनते हुए दूध उफनते हुए मन दोनों को चाहिए शीतल छींटे, क्या होगा जब दिखें व्यस्त आंखें मींचे, यह परिवेश पूर्ण जोश लगे हैं आंख मीचे खरगोश ऐसा...
बुधवार, 6 नवंबर 2024

समूह गुंजन

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 हिंदी लेखक समूह कैसा भाषा व्यूह अंग्रेजी शब्द प्रयोग हिंदी रही दुह कम भाषा ज्ञानी संस्कृति ओंधे मुहं अधजल गगरी छलके तड़पे हिंदी रूह गुंजन धर...
मंगलवार, 5 नवंबर 2024

छठ

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 आस्था की अर्चना के पहुंचने से पहले तालाब तीर बिछ जाती हैं कामनाएं, खिंच जाती हैं लकीरें प्रस्तुत करते स्थल दावे, शाम और सुबह होगा अद्भुत दृ...
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मेरे बारे में

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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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