निज़ता

भावनाओं के पुष्पों से, हर मन है सिजता अभिव्यक्ति की डोर पर, हर मन है निजता शब्दों की अमराई में, भावों की तरूणाई है दिल की लिखी रूबाई में,एक तड़पन है निज़ता।

गुरुवार, 7 नवंबर 2024

बना सपने

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 कहां से कहां तक फैले हसीन अपने यहां-वहां सारे जहां दिखे बनारसी सपने दिल की हर खनक दर्शाते हैं बनारसी जहां कहीं होते यह बन जाते सारथी समूह स...

आहट

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 किसी गुनगुनाहट की आहट मिले वही ताल धमनियां नचाने लगे संयम की टूटन की आवाज़ें हों यूं लगे रोम सब चहचहाने लगे न जाने यह कैसे उठी भावनाएं अकेले...

फफनते

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 फफनते हुए दूध उफनते हुए मन दोनों को चाहिए शीतल छींटे, क्या होगा जब दिखें व्यस्त आंखें मींचे, यह परिवेश पूर्ण जोश लगे हैं आंख मीचे खरगोश ऐसा...
बुधवार, 6 नवंबर 2024

समूह गुंजन

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 हिंदी लेखक समूह कैसा भाषा व्यूह अंग्रेजी शब्द प्रयोग हिंदी रही दुह कम भाषा ज्ञानी संस्कृति ओंधे मुहं अधजल गगरी छलके तड़पे हिंदी रूह गुंजन धर...
मंगलवार, 5 नवंबर 2024

छठ

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 आस्था की अर्चना के पहुंचने से पहले तालाब तीर बिछ जाती हैं कामनाएं, खिंच जाती हैं लकीरें प्रस्तुत करते स्थल दावे, शाम और सुबह होगा अद्भुत दृ...
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सोमवार, 4 नवंबर 2024

नारी और पुरुषार्थ

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 अग्नि का स्त्रीलिंग होना योजनाबद्ध शब्दावली नहीं और नदी का स्त्रीलिंग होना एक व्याख्यावाली नहीं दोनों सृष्टि संवाहक हैं एक शीतल दूजा पावक ह...
रविवार, 3 नवंबर 2024

साहित्य

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 गुदगुदाती अनुभूतियां कल्पनाओं में रच दर्शाती है मुद्राएं करती है थिरकन  तब सजा देता है भाव विभिन्न प्रतीक, बिम्ब से, आप भी होती हैं पुलकित ...
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धीरेन्द्र सिंह
हिंदी के आधुनिक रूप के विकास में कार्यरत जिसमें कार्यालय, विश्वविद्यालय, प्रौद्योगिकी में देवनागरी लिपि, ऑनलाइन हिंदी समूहों में प्रस्तुत हिंदी पोस्ट में विकास, हिंदी के साथ अंग्रेजी का पक्षधर, हिंदी की विभिन्न संस्थाओं द्वारा हिंदी विकास के प्रति विश्लेषण, हिंदी का एक प्रखर और निर्भीक वक्ता व रचनाकार।
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